मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद अब उनकी महत्त्वाकांक्षाएं भी राष्ट्रीय स्तर की हो गई हैं. मोदी ने दिखा दिया है कि अगर खेल को अच्छे तरीके से खेला जाए तो किसी राज्य का मुख्यमंत्री पीएम की कुर्सी पर बैठ सकता है.
इन दिनों गुजरात और पश्चिम बंगाल की स्थितियां काफी कुछ एक जैसी हैं. जहां एक तरफ पीएम मोदी वाइब्रेंट गुजरात में शिरकत कर रहे हैं वहीं ममता बनर्जी शनिवार को मेगा रैली कर रही हैं. गुजरात में हर दो साल पर होने वाले वाइब्रेंट गुजरात समिट ने मोदी को काफी मदद किया है. ममता की ‘यूनाइटेड इंडिया रैली’ की भी तासीर कुछ ऐसी ही है. अंतर सिर्फ इतना है कि जहां वाइब्रेंट गुजरात पूरी तरह से आर्थिक समिट है वहीं ब्रिगेड ग्राउंड में होने वाली यूनाइटेड इंडिया समिट पूरी तरह से राजनीतिक है जो कि ममता को राष्ट्रीय स्तर पर जगह बनाने में मदद करेगी.
आप एयरपोर्ट से कोलकाता आएंगे तो आपको सारी तैयारियां देखने को मिलेंगी. मेहमानों का स्वागत करने के लिए एयरपोर्ट पर मेजें लगाई गई हैं और टीएमसी के नेता भी वहां मौजूद हैं. जिस ग्राउंड पर ये पूरा इवेंट होना है वह काफी शानदार है. मेगा रैली के लिए कई स्टेज बनाए गए हैं.
स्टेज पर जितने लोग ममता के साथ जो-जो पार्टियां दिखेंगी उसी से पता लगेगा कि टीएमसी के साथ कितने लोग खड़े हैं. कांग्रेस और बसपा तो साथ में हैं लेकिन इन पार्टियों के मुखिया मौजूद नहीं हैं. केसीआर बीजेपी और कांग्रेस विरोधी फ्रंट बनाने में लगे हुए हैं और उन्होंने कांग्रेस के साथ स्टेज शेयर करने से मना कर दिया है. ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक न सिर्फ बीजेपी बल्कि कांग्रेस से भी दूरी बनाकर चल रहे हैं.
लेकिन ममता बनर्जी को अपनी कमियों और बाधाओं के बारे में पता है. राष्ट्रीय स्तर पर पहचना दिलाने में एक बड़ी बाधा उनकी भाषा है जिसमें बांग्ला को पुट है. लेकिन वो इसको अपनी मज़बूत छवि से खत्म करना चाहती हैं. वही मज़बूत छवि जिसने एक समय में बंगाल में लेफ्ट जैसी पार्टी को उखाड़ फेंका था.
मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद अब उनकी महत्त्वाकांक्षाएं भी राष्ट्रीय स्तर की हो गई हैं. मोदी ने दिखा दिया है कि अगर खेल को अच्छे तरीके से खेला जाए तो किसी राज्य का मुख्यमंत्री पीएम की कुर्सी पर बैठ सकता है